हमने न मालूम कितने झूठ तय किए हैं। जन्मों-जन्मों से झूठ की एक लंबी कतार खड़ी कर ली है और उस झूठ में हम सब खो गए हैं। हमें कुछ पता नहीं है। हमारा परिवार झूठ है; हमारी कल्पना पर खड़ा है, सत्य पर नहीं। हमारी मित्रता झूठ है; हमारी कल्पना पर खड़ी है, हमारा धर्म झूठ है, हमारी भक्ति झूठ है, प्रार्थना झूठ है; हमारी कल्पना पर खड़ी है, सत्य पर नहीं। -ओशो
Publisher: Divyansh
ISBN: 978-93-80089-01-0
Price: Rs.350
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