Wednesday, 23 January 2013

Bhajgovindam Moondhmate

ओशो द्वारा आदिशंकराचार्य के ‘भजगोविंदम् मूढ़मते’ पर दिए दस अमृत प्रवचन।
इस पुस्तक में आदिशंकराचार्य की अद्वितीय कृति ‘भज गोविन्दम्’ पर बोलते हुए, ओशो कहते हैं, ‘‘इस मधुर गीत का पहला पद शंकर ने तब लिखा, जब वे एक गांव से गुजरते थे, और उन्होंने एक बूढ़े आदमी को व्याकरण के सूत्र रटते देखा। उन्हें बड़ी दया आई...धर्म व्याकरण के सूत्र में नहीं है, वह तो परमात्मा के भजन में है। और भजन, जो तुम करते हो, उसमें नहीं है। जब भजन भी खो जाता है, जब तुम ही बचते हो... बिना कहे तुम भजन हो जाओ, तुम गीत ही हो जाओ, इस तरफ शंकर का इशारा है।’


Publisher: Rebel
ISBN: 978-81-7261-122-4
Price: Rs. 270.00

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