Saturday, 8 September 2012

Phir Amrit Ki Bund Pari

Phir Amrit Ki Bund Pari
‘‘देश तो होता ही नहीं। देश तो झूठ हैं। राष्ट्र तो मनुष्य की ईजाद हैं। असलियत है व्यक्ति की। इस देश ने गौतम बुद्ध, उपनिषद के ऋषि, महावीर, आदिनाथ--आकाश की ऊंचाई से ऊंचाई छुई है। वह भी एक भारत है। वही पूरा भारत होना चाहिए।

और एक भारत और भी है। राजनीतिज्ञों का, चोरों का, कालाबाजारियों का। भारत के भीतर भारत है।

इसलिए यह सवाल नहीं है कि कौन देश श्रेष्ठ है और कौन देश अश्रेष्ठ है? सवाल यह है कि किसी देश में अधिकतम श्रेष्ठ लोगों का निवास है और किस देश में अधिकतम निकृष्ट लोगों का निवास है। भारत में दोनों मौजूद हैं।’’
-ओशो

प्रस्तुत पुस्तक सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं पर मनाली एवं मुंबई में प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए पांच अमृत प्रवचनों का संकलन है।


Publisher: Rebel
ISBN: 978-81-7261-252-8
Price: Rs. 220

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